सोने का हरण
एक समय की बात है एक नगर में एक अमीर व्यापारी रहता था। उसका एक बेटा था जिसका नाम महाधनक था महाधनक हमेशा मौज मस्ती में रहता था, उसे कामकाज से कोई मतलब नहीं था, उसके इस बर्ताव से उसके पिता परेशान रहते थे। एक दिन उसके पिता ने सोचा के शायद महाधनक शादी के बाद सुधर जायेगा, इसलिए उन्होंने उसकी एक सुन्दर लड़की से शादी करा दी। मगर शादी के बाद महाधनक सुधारना तो दूर और निकम्मा हो गया,
एक दिन अचानक महाधनक के पिता की मृत्यु हो गयी। और कारोबार का सारा काम महाधनक के कंधों पर आ गया. लेकिन उसे कुछ आता तो था नहीं और ना ही उसने कभी काम सीखने की कोशिश की. जिस कारण से व्यापार डूबता जा रहा था। और महाधनक पर कर्जा चढ़ता जा रहा था,
काफी समय इसी तरह चलता रहा और महाधनक कर्ज में पूरी तरह डूब गया. अब सभी लेनदार उसके घर आकर पैसे मांगने आने लगे, लेकिन महाधनक हमेशा बहाना बनाकर उन्हें टाल देता था. एक दिन सभी लेनदारों ने महाधनक को घेर लिए और उससे पैसे मांगने लगे, महाधनक ने कहा के मुझे थोड़े समय की और मोहलत दो, तभी बीड में से एक आदमी निकला और उसने महाधनक का गिरेबान पकड़ लिया, और गुस्से से बोला “बंद कर अपनी बकवास और पैसे निकाल मेरा” उसके साथ बाकि लोग भी महाधनक पर चिल्लाने लगे जिस कारण से महाधनक डर गया। तभी एक बूढ़ा आदमी बोला जो महाधनक के पिता का पुराना दोस्त था। उसने कहा के भाइयों इसको मारने से तो हमारा पैसा डूब ही जाएगा, जरा शांति से उसकी बात सुनते है।
महाधनक को ये सुनकर शर्म आ गयी। और उसने सभी लोगो से कहा के में तुम लोगों का पैसा अभी देता हु चलो मेरे साथ मैंने नदी के पास खजाना छिपाया हुआ है। आज तुम सब का हिसाब पूरा करूँगा। अपना पैसा लेने के लिए सभी लेनदार महाधनक के पीछे चल दिए। नदी के पास आकर महाधनक ने लेनदारों से कहा के तुम सब यही रुको में पैसे लेकर आता हु, जैसे ही महाधनक नदी के पास गया उसने नदी में डुबकी लगा दी और नदी से सिर बाहर निकालकर सभी लेनदारों से कहा “भाइयो अब तुम्हारा पैसा अगले जन्म में ही दूंगा। असल में रोज रोज के सरदर्द से बचने के लिए महाधनक आत्महत्या कर रहा था।
सभी लेनदार उसकी बातें सुनकर सिर पीटकर रोने लगे। और थोड़ी देर में अपने घर लौट गए। इधर महाधनक पानी के बहाव के साथ बेहता जा रहा था, उस जैसे निकम्मा इंसान जो हमेशा मौज मस्ती में रहता है वो आत्महतिया कर ले ये बात कुछ हजम नहीं हो रहा थी, कुछ दूर जाते ही उसने बचाओ बचाओ चिलाना शुरू कर दिया और तभी उसकी आवाज एक सोने की तरह दिखने वाले हिरण ने सुन ली, माना जाता है के वो हिरण बड़ा ही बुद्धिमान है और इंसानी भाषा भी बोलना जनता है। उसने जब किसी की बचाओ बचाओ की आवाज सुनी तो वो तेजी से नदी की और भागा और उसने महाधनक को बचा लिया
बचने के बाद महाधनक ने उस हिरण का शुक्रियाअदा किया और उसने कहा के में तुम्हारा ये एहसान कैसे चुकाऊंगा, हिरण ने उससे कहां के मेरे बारे में किसी को मत बताना, महाधनक ने उसे वचन दिया के वो उसके बारे में किसी को नहीं बताएगा।
अब वो पास के एक नगर में जाकर रहने लगा उस गांव में एक राजा था जिसकी पत्नी बहुत धार्मिक थी। उसने एक दिन सपना देखा के एक सोने का हिरण उसे उपदेश दे रहा है। उसकी जब आँख खुली तो उसने ये सारी बात राजा को बताई और राजा से पूछा के सच में ऐसा हिरण होता है महाराज, तो राजा ने उससे कहा के मेने सुना है के ऐसा हिरण होता है मगर कभी अपनी आँखों से नहीं देखा और ना ही कोई इंसान मिला जिसने उसे देखा हो,
रानी जिद करने लगी उस हिरण को ढूंढ़ने की। राजा ने अपनी पति की बात मान ली और पुरे नगर में ये घोसणा कर दी के जिसने भी उस हिरण को देखा है उसे बहुत बड़ा इनाम मिलेगा। इनाम की बात सुनकर महाधनक का लालची इंसान बहार आ गया, और उसने राजा को हिरण के बारे में बताने का सोचा, वो ये भी भूल गया के उसने हिरण को वचन दिया था के उसके बारे में किसी को नहीं बताएगा। लेकिन उसने फिर भी राजा को सब बता दिया और उस जगह पर भी लेकर चला गया जहां उसे वो हिरण मिला था।
जब राजा और उसके सिपाही महाधनक के साथ उस जगह पर पहुंचे तो वो हिरण को बाहर निकालने के लिए शोर मचाने लगे. जिसके बाद शोर से तंग होकर हिरण खुद राजा के पास आ गया और उसने कहा के आप ये शोर बंद करिए इससे जंगल की शांति भंग हो रही है। उस हिरण को बोलता देख राजा हैरान रह गया। और उसने हिरण के सामने हाथ जोड़कर अपने महल में चलने की प्राथना की, हिरण ने उससे कहा के पहले ये बताओ के मेरे बारे में कैसे पता चला, राजा ने महाधनक की तरफ इशारा करते हुए कहा के ये लेकर आया है हमे आपके पास, हिरण को ये जानकर दुःख हुआ के महाधनक ने उसका वचन तोड़ दिया। उसने राजा को महाधनक के बारे में सारी बात बता दी के कैसे उसने धोका दिया।
ये सुनकर राजा महाधनक को मारने लगा, तभी हिरण ने राजा को रोका के तुम अपने हाथ गंदे मत करो बस जान लो के ये भरोसे के लायक नहीं है। राजा ने हिरण से अपनी पत्नी के बारे में बताया के वो आपके उपदेश सुनना चाहती है। हिरण ने कहा के में एक ही शर्त पर तुम्हारे महल में चलूँगा। तुम अपने राज्य में जीव हत्या बंद कर दोगे। राजा उसकी बात मान गया।
जब हिरण महल में पोछा तो सब हाथ जोड़कर उसका स्वागत करने लगे। राजा ने उसे अपनी गद्दी पर बैठने को कहां, जिसके बाद वो सबको उपदेश और अच्छी अच्छी बातें बताने लगा। इधर महाधनक को कोई इनाम नहीं मिला बल्कि और धोकेबाज का दाग भी उसके ऊपर लग गया।
सीख: इस कहानी की सीख ये है। विश्वासघाती का अपमान ही मिलता है इंसान को काम सीखना चाहिए, नकारा व्यक्ति अपना ही जीवन नष्ट करता है।