कमला सोहोनी (18 जून 1911 - 28 जून 1998) एक भारतीय biochemist की जिन्होंने भारत में biochemist मैं पीएचडी हासिल करने वाली पहली महिला बनी उनका जन्म 1911 में बॉम्बे( मुंबई) में हुआ था और उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी जहां पर उन्होंने 1932 में मास्टर डिग्री हासिल की इसके बाद वह कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए चली गई जहां पर उन्होंने 1936 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की
भारत वापस लौटने के बाद, सोहोनी ने बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में एक शोधकर्ता के रूप में काम किया। वह दालों के अंदर प्रोटीन की विशेषता बताने वाली पहली वैज्ञानिक थी, जो भारत में आमतौर पर खाई जाने वाली एक प्रकार की फली है। उन्होंने विटामिन के प्रभावों और खाद्य पदार्थों में विटामिन सामग्री की सही मात्रा निर्धारित करने के तरीके का भी पढ़ाई की है।
सोहोनी विज्ञान में महिलाओं के अधिकारों की मज़बूत हिमायती थीं। वह भारत में महिला वैज्ञानिकों की संस्था की संस्थापक सदस्य भी थीं और 1961 से 1963 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वो भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और भारतीय वैज्ञानिक और औद्योगिक research council की सदस्य भी रही।
सोहोनी ने जैव रसायन और पोषण के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वो दालों और उनके पोषण मूल्य के अध्ययन में leader थीं। उनके काम से यह समझने में मदद मिली कि विटामिन कैसे काम करते हैं और खाद्य पदार्थों में उनकी सामग्री में कैसे मापा जाता है। सोहोनी विज्ञान में महिलाओं के लिए एक आदर्श महिला थीं और उनके काम के क्षेत्र पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।
2023 में, Google ने डूडल के साथ उनकी 112वीं जयंती मनाई।
यहाँ कमला सोहोनी की कुछ उपलब्धियां हैं:
- कमला सोहोनी बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी करने वाली भारत की पहली महिला बनी
- उन्होंने डालो और उनके पोषण के मूल्यों के अध्ययन की जिम्मेदारी ली
- विटामिन कैसे काम करते हैं उसको समझाने में भी काफी मदद की
- खाद्य पदार्थों में विटामिन सामग्री की मात्रा
- विज्ञान में महिलाओं के अधिकारों की वकालत भी की
- एसोसिएशन ऑफ वूमेन साइंटिस्ट्स इन इंडिया की संस्थापक सदस्य
- 1961 से 1963 तक भारत में महिला वैज्ञानिकों के संघ की अध्यक्ष बनी
- भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सदस्य
- भारतीय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के सदस्य
कमला सोहोनी एक leader वैज्ञानिक थीं जिन्होंने जैव रसायन और पोषण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके काम का क्षेत्र पर स्थायी प्रभाव पड़ा है और वह दुनिया भर में विज्ञान में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।