बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड CO2 की वजह से वाहनों के ईंधन में बदलाव करने की कोशिश चल रही है। कार्बन पैदा करने वाले ईंधन प्रदूषण का 10 % हिस्सा है, अब देखा जा रहा है के वाहनों को ऐसा ईंधन दिया जाए जो प्रदूषण न कर सके, वैसे बहुत सी कम्पनिया अब इलेक्ट्रिक से चलने वाले वाहन पर काम कर रही है, जिससे प्रदूषण ना हो सके. पर इलेक्ट्रिक से चलने वाले वाहन अभी पूरी तरह से स्पष्ट ऑप्शन नहीं है, कम्पनिया इसके आलावा हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन के बारे में भी विचार कर रही है।
महामारी के आने से लोगो का सफर करना कम हो गया है. और दूसरी तरफ बढ़ते पेट्रोल और डीज़ल के दाम की वजह से भी लोग को अपने वाहनों से सफर करना भारी पड़ रहा है, कंपनियों ने ये कहां है के नए वाहनों की मांग अचानक से नीचे गिर गयी. वाहन निर्माताओं के सामने अब ये एक बड़ी चुनौती है के उनको अब कार्बन फ्री या कम कार्बन वाले वाहनों को मार्किट में लाना होगा.
इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कोबाल्ट और निकल की जरुरत पड़ती है पर इनकी बढ़ती कीमत और बढ़ती डिमांड को पूरा कर पाना मुश्किल है पर हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन, मार्किट डिमांड को पूरा कर सकते है, इसलिए वाहन निर्माताओं और सरकारे, हाइड्रोजन ईंधन पर गाड़ियों का उत्पाद बढ़ाने का निर्णय ले रहे है।
वाहनों के उत्पादों में पहले से ही इलेक्ट्रिक से चलने वाली बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसी चीज को आगे बढ़ाने के लिए अब गाड़ियों में हाइब्रिड तकनीक का उपयोग होने लगा है, हाइब्रिड में गाड़ी आधी ईंधन और आधी इलेक्ट्रिक बैटरी से चलती है जिससे प्रदूषण के कम होने में मदद मिलती है, हाइब्रिड तकनीक में ईंधन से पैदा होने वाली पावर इलेक्ट्रिक बैटरी को चार्ज कर देती है, जिससे ईंधन के बिना या ईंधन की सप्लाई को रोकने के बाद भी गाड़ी इलेक्ट्रिक बैटरी से चल सकती है। पर ये तकनीक महंगी गाड़ियों में ही दी जाती है।
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हाइड्रोजन ईंधन पर्यावरण में जीरो कार्बन पैदा करने का प्रतीक माना जाता है, इसके लिए इस टाइप के इंजन इस्तेमाल किए जाएंगे जो पर्यावरण में प्रदूषण को पैदा करने से रोकेंगे। ऐसा बताया जा रहा है के हाइड्रोजन गैस का उत्पादन 2030 तक चार गुना कीमत कम हो जायेगी। अगर बैटरी की तुलना में देखा जाए तो ये एक अच्छा और फायदेमंद ईंधन है, वही दूसरी और बैटरी को लाने और लेजाने का खर्चा काफी ज्यादा होता है जिससे उसकी कीमत बहुत ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
बिजली को पैदा करने के लिए सरकार पवन ऊर्जा, hydro power, solar power, जैसी ग्रीन ऊर्जा के उत्पाद हो बढ़ावा दे रही है. और साथ ही साथ हाइड्रोजन ऊर्जा को भी साफ़ ऊर्जा का स्रोत मानती है। दुनिया में बढ़ते प्रदूषण के चलते और कोयला, पेट्रोल, डीज़ल की कमी आने की वजह से अब साफ़ ऊर्जा की तरफ ज्यादा घ्यान दिया जा रहा है और तो और इनके अलावा भी साफ़ ऊर्जा के स्रोत को खोजा जा रहा है।
हाइड्रोजन ईंधन के लिए पंप को स्थापित करना एक बड़ा चैलेंज है, क्योकि ये ईंधन गैस के रूप में सप्लाई किया जायेगा जिसके लिए पाइप लाइन की सुविधा बेहद जरुरी है, अभी के पिंप में liquid में दिया जाने वाला ईंधन सप्लाई किया जाता है, पर हाइड्रोजन गैस पंप के लिए पेट्रोल पंप पर ही पाइप लाइन पिछने के बारे में विचार किया जा रहा है. इससे नए पंप को बनाने का खर्चा भी बचेगा। जापान देश हाइड्रोजन वाहनों में काफी अधिक निवेश कर रहे है।
बहुत सी कार कम्पनिया हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली गाड़िया लॉन्च कर रहे है, आने वाले कुछ समय में ये मार्किट में दिखाई देंगी, हुंडई, फोक्सवैगन, जैगवार, लैंड रोवर, टोयोटा जैसी बड़ी कार कम्पनिया हाइड्रोजन वाहनों का निर्माण करके मार्किट में उतारने पर विचार कर रही है।
कार निर्माताओं के सामने एक बड़ी समस्या यह है के अगर हाइड्रोजन इंजन ठीक से काम नही किया तो ग्रीनहाउस गैस वातावरण को बहुत नुक्सान पंहुचा सकती है और साथ ही साथ ये ओजोन परत को भी ख़त्म कर सकती है। इसलिए हाइड्रोजन इंजन को इस तरीके से डिज़ाइन किया जाए के वह ग्रीन गैस को पर्यावरण में न फैला सके।
ELECTRIC VEHICLES
ADVANTAGES:
- इलेक्ट्रिक vehicles काफी ज्यादा ऊर्जा efficient होती है
- इलेक्ट्रिक vehicles emission को कम करती है
- इलेक्ट्रिक vehicles की maintenance कम है
- अच्छी performance है
- प्रदूषण का कारण नहीं बनते
- noise pollution नहीं करते
- सिंपल वर्किंग है
DISADVANTAGES:
- लम्बे रास्ते की दुरी तय नहीं कर सकते
- चार्ज होने में काफी समय लगता है
- इलेक्ट्रिक VEHICLE बहुत EXPENSIVE होते है
- बैटरी लाइफ कम होती है।
- बैटरी चार्ज पंप कम है
ADVANTAGES
- कार्बन डाइऑक्साइड पैदा नहीं करते ऑपरेशन के दौरान
- वातावरण को कम प्रदूषित करते है
- ईंधन भरने में ज्यादा समय नहीं लगता।
- हाइड्रोजन ईंधन लम्बे समय तक चल सकता है
- NOISE प्रदूषण नहीं करते
DISADVANTAGES
- वातावरण को नुकान देने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड को छोड़ते है
- हाइड्रोजन प्रथ्वी पर बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है पर ये दूसरे एलिमेंट्स के साथ जुड़ा रहता है जिको अलग करना बहुत EXPENSIVE है
- हाइड्रोजन सेटअप बहुत ज्यादा EXPENSIVE है
- ROW MATERIAL COST काफी ज्यादा है
- हाइड्रोजन स्टोरेज की कमी है