भविष्य का रास्ता ELECTRIC HIGHWAY
ट्रक से होने वाले प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए बहुत से देश की सरकार इसका उपाए निकलने के बारे में विचार कर रही है, जैसे के आप जानते है ट्रक एक डीजल इंजन का वाहन होता है, जिसके इस्तेमाल से वातावरण को बहुत नुक्सान होता है, साथ ही साथ हमारी और हमारे आस पास में रहने वाले जीव जंतु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है, इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए जर्मनी ने इलेक्ट्रिक हाईवे बनाया है जिसे ट्रक को डीजल जी जगह बिजली दी जाएगी, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
ये डीज़ल ट्रक लम्बे रास्ते पर काफी समय बिता देते है जिससे प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है, ये आसमान में ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ाने का कारण भी बनता है, जर्मनी की सरकार इस टेक्नोलॉजी के स्तेमाल से प्रदूषण को कम करने की राह पर एक अच्छा कदम उठाया है। जैसे के आप सब महसूस कर रहे होंगे के हमारे आस पास का वातावरण कितना प्रदूषित हो चूका है खासकर शहरो में जहा, गाड़िया और ट्रक बेसुमार दौड़ते है।
इलेक्ट्रिक हाईवे को आप इस तरीके से भी समझ सकते है के जैसे आपने मैट्रो को देखा होगा जिसमे ट्रैन के ऊपर इलेक्ट्रिक तार की लाइन लगी होती है जिससे मैट्रो को पावर मिलती है बिलकुल वैसे ही ये इलेक्ट्रिक तार की लाइन हाईवे पर भी लगाई गई है जिससे ट्रक के मोटर तक डायरेक्ट पावर मिलेगी। जर्मनी ने अपने इस इलेक्ट्रिक पावर को ट्रेनों, ट्रक और स्ट्रीट वाहन दो सप्लाई करना शुरू कर दिया है।
ओवरहेड इलेक्ट्रिक तारो की वजह से ट्रैक ड्राइवर को काफी बचत होगी। एक बेटरी वाले ट्रक को चलाने में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है, और प्रदूषण भी नहीं होता, ट्रक के अन्दर एक बेटरी भी दी जाएगी जिससे वो बिना इलेक्ट्रिक तार वाले रास्ते की दुरी को आसानी से तय कर पाए। इस तकनीक से ईंधन की भी काफी बचत हो पाएगी।
इलेक्ट्रिक हाईवे एक बेहतर उपाए है. अगर देखा जाए तो लम्बे समय लिए पैसे को बचाती है वैसे ये ईंधन के मुकाबले फायदा का सौदा है, इस इलेक्ट्रिक तार का खर्चा शुरुआत में बहुत महंगा है. इसलिए जर्मनी ने ये सिर्फ कुछ ही जगहो पर ही प्लांट किए गए है जिससे देखा जाएगा के इससे केसा RESPONSE आता है, इ-हाईवे सिस्टम सिर्फ स्वीडन और कैलिफोर्निया के एक मील की दुरी तक ही लगाए गए है। जर्मनी के 60 % ट्रक यातायात को कमसे काम 2,500 मील बिजली के तारो की जरुरत पड़ेगी
इ-हाईवे को बनाने के लिए जर्मन सरकार को 1 मील की दुरी के लिए कमसेकम 5 मिलियन डॉलर का खर्चा करना पड़ेगा, पर्यावरण मंत्रालय का कहना है के वह योजना को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रिक बैटरी और हाइड्रोजन ईंधन की तकनीकों को समझ कर किया जायेगा, और मंत्रालय ने ये भी कहा है के इस काम को पूरा करने में 4-5 साल लग सकते है।
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