Buddhist story #3 | अकेलेपन को अपनी ताकत में बदलो | INSPIRATIONAL STORY HINDI

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Akelepan ko takat banao 

पुराने समय की बात है। एक समुद्र किनारे एक गुरु अपना आश्रम बनाकर रहते थे। हजारों शिष्यों उनसे ज्ञान ग्रहण करने के लिए। दूर दूर से उनके पास आते थे। गुरु का ज्ञान देने का तरीका थोड़ा सा अलग था। शुरुआत में वे अपने शिष्यों को उपदेश के माध्यम से ज्ञान देते थे। उसके बाद वे अपने शिष्यों को उस ज्ञान का अनुसरण करने के लिए कहते थे। ताकि वो ज्ञान उनके व्यवहारिक जीवन में उतर सके। एक बार उस आश्रम में। एक सम्राट अपने बेटे को लेकर आया। उस सम्राट ने गुरु से प्रार्थना की कि आप मेरे बेटे को अपने आश्रम में रख लें और अपने तरीके से उसे ज्ञान दे। आश्रम में बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वह किसी सम्राट का बेटा है। उसको बिल्कुल साधारण शिष्यों की तरह ही ज्ञान देने की कृपा करें। 

गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा, एक सम्राट तभी ज्ञान प्राप्त कर सकता है। जब वो अपने आप को एक साधारण इंसान समझे यही ज्ञान प्राप्त करने की सबसे पहली सीढ़ी है। गुरु ने सम्राट से कहा तुम निश्चित रहो आज से तुम्हारे बेटे की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर रहेंगी। यह कहकर गुरु सम्राट के बेटे को अपने साथ समुद्र के किनारे टहलने के लिए लेकर आ गए। आश्रम के काफी सारे बच्चे सम्राट के बेटे को देखकर उसकी तरफ आकर्षित हो रहे थे और उससे दोस्ती करना चाहते थे। जब सम्राट का बेटा और गुरु समुद्र के किनारे टहल रहे थे तो अचानक से सम्राट का बेटा फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि अभी वह सिर्फ 12 साल का था और  12 साल की उम्र में उसके पिता ने उसे अपने से दूर कर दिया। ये सदमा वो बच्चा सहन नहीं कर पा रहा था। वो यह समझ नहीं पा रहा था। कि उसके पिता उसकी भलाई के लिए उसे इस जगह क्यों छोड़ कर गए ? उसे रोते हुए देखकर गुरु ने उससे कहा कि बेटा मैं तुम्हें चुप नहीं करूँगा। हो सकता है कि आज मैं तुम्हारे आंसू पोंछ दूँ, लेकिन कल तुम फिर से अपने आपको अकेला पाओगे। याद रखना जीवन में इंसान अकेला आता है और अकेले ही जाता है। जितनी जल्दी इंसान इन बातों को समझ लेता है, वो उतनी ही जल्दी आत्मज्ञानी रास्ते पर निकल पड़ता है। 

गुरु ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जो इंसान अकेला रहना सीख लेता है, वहीं खुद से प्यार कर सकता है और जो खुद से प्यार करता है वो किसी के भी जाने का अफसोस नहीं करता। धीरे धीरे तुम आश्रम के माहौल में ढल जाओगे। शुरुआत में तुम्हें समस्या आएगी, लेकिन कुछ दिनों के बाद तुम्हें इसकी आदत हो जाएगी। और उसके बाद तुम्हे ये जगह अच्छी लगने लगी। समुद्र के दूसरे छोर पर सूरज छिपने लगा था और अपनी लालिमा पूरे आसमान में बिखेर रहा था। बहुत ही सुंदर दृश्य था और गुरु शिष्य को अपने साथ लेकर। वापस लौट आए । सम्राट के बेटे को भी अब थोड़ा अच्छा लग रहा था। गुरु ने भी उसे काफी दिलासा दिया और अपने गुरु की आँखों में शांति देखकर उसका मन भी अब शांत हो गया था। 

अब सम्राट का बेटा रात को भोजन करने के लिए भोजन कक्ष में पहुंचा तो आसपास के सभी शिष्य । उसके पास आने लगे, उन सभी को पता था कि ये सम्राट का बेटा है और अगर हम इससे दोस्ती कर ले तो हमारे लिए बहुत फायदा होगा। यही सोचकर आश्रम के ज्यादातर बच्चों ने उसे घेर लिया। बस कुछ बच्चे थे जो अकेला रहना चाहते थे और वो देख दिखावे की तरह आकर्षित नहीं होते थे। वे सम्राट के बेटे के पास जाने के बजाय अपना पूरा ध्यान खाने पर लगा रहे थे और अकेले में बैठकर अपना भोजन कर रहे थे। 

कुछ दिनों के बाद सम्राट के बेटे की दोस्ती आश्रम के काफी सारे बच्चों से हो गई। वो उन बच्चों के साथ घूमता और अपना ज्यादातर समय उन्हीं के साथ बिताता था। आखिरकार सम्राट का बेटा था। सुख सुविधाओं में पला बढ़ा था, अब आश्रम में भी उसके दिन वैसे ही गुज़रने लगे थे जैसे महल में गुजर रहे थे। ऐसा नहीं था कि गुरु को कुछ पता नहीं था, पर उसके गुरु उसे अलग तरीके से ज्ञान देना चाहते थे। बच्चों को ज्ञान आप उपदेश देकर नहीं दे सकते, उनको साक्षात्कार करना पड़ता है। तभी वो उन बातों को समझ सकते हैं। जिसको को आप समझाना चाहते हैं गुरूजी उसको बोल कर नहीं समझाना चाहते थे। वो मन ही मन में सोच रहे थे कि अगर मैं इसको बोलकर समझाऊंगा तो इसको कभी भी समझ नहीं आएगा। 

इसलिए मुझे इसको एहसास कराना पड़ेगा कि अकेले रहने से ही तुम अपनी शक्ति को जान पाओगे। ये सीख देने के लिए गुरु 1 दिन शिष्य को अपने साथ एक पहाड़ी पर लेकर चले गए, पहाड़ी पर पहुँचकर गुरु ने शिष्य से कहा कि अब तुम्हारा ज्ञान पूरा हो चुका है, बस एक आखिरी रात। तुम्हे यहाँ पर बितानी होगी। उसके बाद अगले दिन शाम को तुम तुम्हारे राजमहल में ही वापस चले जाओगे। वह बच्चा यह सुनकर बहुत खुश हो गया कि अब वह वापस राजमहल चला जायेगा। फिर से मेरे दोस्त और दसिया मेरे पास होगी। उसने गुरु से पूछा कि गुरूजी मुझे आज रात आप यहाँ पहाड़ी पर क्यों छोड़ रहे हैं? आखिर मुझे कौनसा आखिरी ज्ञान प्राप्त करना है? गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा की यहाँ पर चट्टान के पीछे तुम्हें छिपकर बैठना होगा। यहाँ पर रोज़ रात को एक बाज आता है तुम्हे  उस बाज़ को देखना होगा और बड़ी ही गौर से उस पर ध्यान देना होगा उसकी हर एक गतिविधियों को। जानना होगा. देखने के बाद अगले दिन अगर तुम उस बाज़ की खूबियाँ मुझे बता पाओगे तो मैं तुम्हें तुम्हारे महल में वापस भेज दूंगा 

और हाँ। सुबह आने से पहले एक बात पर और ध्यान देना है एक चरवाहा यहाँ पर अपनी भेड़ों को चराने आता है तुम्हें उन भेड़ों की गतिविधि। और बाज की गतिविधियों पर पूरा ध्यान देना है। अगर तुम यह काम कर पाए तो मैं तुम्हें तुम्हारे पिता के पास वापस भिजवा दूंगा। ये बात सुनकर शिष्य उस पहाड़ के पीछे छुप गया का इंतजार करने लगा। काफी वक्त बीत जाने के बाद वहाँ पर बाज अपने बच्चों के साथ पहुंचा। सम्राट के बेटे ने पूरी रात उसकी गतिविधियों पर बहुत ही ध्यान से नजर रखी और सुबह होने के बाद जब चरवाहा अपनी भेड़ों को चराने के लिए आया तो उसने एक बहुत ही चौंका देने वाले दृश्य को देखा। उसने देखा की बाज एक भेड़ को अपने पंजे में दबाकर। आसमान में उड़ गया। उसने उस भेड़ के बच्चे का शिकार कर लिया। ये सारा दृश्य देखकर वो आश्चर्य से आश्रम में वापस पहुंचा। इससे पहले के गुरु उससे कुछ पूछते। उसने गुरु को प्रणाम करते हुए कहा कि गुरुदेव अप आश्रम के सभी बच्चों को यहाँ पर बुला लीजिए। मैं सब लोगों को एक बात बताना चाहता हूँ। की मैंने क्या देखा? जब आश्रम के सभी बच्चे वहाँ पर पहुँच गए तो सम्राट के बेटे ने कहा। मैंने जीवन में बहुत से पक्षियों को देखा है, मगर बाज उन सभी पक्षियों में से सबसे अद्भुत है सबसे अलग होता है। 

उदाहरण के लिए एक तोता हम सभी ने देखा होगा। तोता बोलता तो बहुत है लेकिन कभी ऊँचा नहीं उड़ पाता लेकिन एक बाज। जोकि हर समय शांत रहता है लेकिन उसमें आकाश को छूने की ताकत है। एक बार जब बाज अपने शिकार को निश्चित कर लेता है तो उसी शिकार पर अपनी नजरें गड़ाए रखता है। फिर चाहे वह कितनी भी उचाई पर क्यों ना उड़ रहा हो। कितना ही बड़ा तूफान क्यों ना आ जाए लेकिन उसकी नज़र हमेशा अपने लक्ष्य पर ही होती है। और यह बात मैंने आज सुबह ही समझी है। बाज ने हर भेड़ को शिकार नहीं बनाया बल्कि उसने भेड़ों के झुंड में से उसने सिर्फ एक भेड़ को अपना शिकार बनाया। उस तरह हमे भी अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर लगाना चाहिए, भले ही हमारे सामने। चाहे कितनी भी भेड़े क्यों ना हो हमें अपने लक्ष्य को साफ तौर पर निश्चित करना चाहिए और जमकर उस पर काम करना चाहिए। हमें 20 अलग अलग लक्ष्यों पर ध्यान देकर अपनी ताकत को बर्बाद होने से बचाना है। 

हमें किसी एक लक्ष्य को। निश्चित कर कर उस पर अपना पूरा ध्यान लगाना चाहिए और तीसरी बात जो मैंने सीखी है और हम सबको भी वो बात सीखनी चाहिए के बाज कभी भी दूसरे पक्षियों के साथ नहीं उड़ता वह हमेशा आकाश में अकेला उड़ता है। इससे हम यह सीख सकते हैं। के हमें कभी भी छोटी सोच वाले लोगों के साथ नहीं जुड़ना चाहिए। आखिरकार हम भी वही बन जाते हैं जिसके साथ हम रहते हैं। इसलिए या तो बड़ी सोच वालों के साथ रहो या आप अकेले रहो क्योंकि जब हम अकेले रहते है तभी हम खुद की ताकत को जान पाते हैं और खुद की कमजोरियों को। समझकर उन पर काम कर पाते हैं। हम अपनी ताकत को जानकर उसका सही इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन वह तभी संभव होगा जब हम अकेले रहना सीखेंगे। 

चौथी सीख जो हमे सीखनी चाहिए एक बाज हमेशा अपनी सीमाओं से ऊपर उड़ता है जब तूफान आता है। तो हर एक पक्षी अपने घोंसलें की तरफ भागने लगता है, खुद को छुपाने की जगह ढूंढता रहता है लेकिन बाज ऐसा नहीं करता। वह खुद की सीमाओं को तोड़कर आसमान की खतरनाक ऊंचाइयों पर उड़ता है और खुद को मजबूत बनाता है। उसकी ये बातें सुनकर गुरु ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा की मैं आज रात इस सम्राट के बेटे को इसके राजमहल में वापस भेजने जा रहा हूँ, क्योंकि इसका ज्ञान यहाँ पर पूरा हो चुका है। ये कहकर गुरु सम्राट के बेटे का हाथ पकड़ के राजमहल की तरफ रवाना हो गए और बाकी के सभी बच्चे उन्हें पीछे से जाते हुए देख रहे थे। 


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