overthinking ko kaise रोके ? over thinking को रोकने के लिए कुछ महत्वपुर्ण तरीके | how to stop overthinking in hindi

0

 



overthinking ko kaise रोके ?



वैसे देखा जाये तो ओवर थिंकिंग 2 प्रकार की होती है पहेली जो हम खुदसे सोचते है जिसको दूसरी भाषा में समस्या का सलूशन निकलना भी कहा जा सकता है। खुदसे की गयी ओवर थिंकिंग ओके लिए सही है क्योकि इसमें आप अपनी सोचने की शक्ति को बढ़ा रहे है, जिसमे आपको कोई समस्या नहीं होती है। 

दूसरे प्रकार की ओवर थिंकिंग जिसे आप खुद शुरू नहीं करते जो आपके दिमाग में अपने आप चलती रहती है, हमारी लड़ाई इसी ओवर थिंकिंग से है क्योकि ये अपने आप ही चलती रहती है जिससे हमारे सर में प्रेशर बनाती है जिससे हमारे सर में दर्द होने लगता है जिसको हम दुःख भी बोलते है। खुद से की जाने वाली ओवर थिंकिंग में आपको कुछ करने की जरुरत नहीं है लेकिन अपने आप चलने वाली ओवर थिंकिंग को रोखने के लिए हमारे पास कुछ तरीके है जिनकी मदद से आप अपनी uncontrol overthinking को रोख सकते है चलिए जानते है उन तरीकों के बारे में 




अपने thoughts को स्वीकार करें 


जब आप अपने थॉट के विपरीत भागते है तभी आपके दिमाग में overthinking की समस्या बढ़जाती है. दिमाग में थॉट का आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो इनफार्मेशन से शुरू होती है, हम जितनी ज्यादा इनफार्मेशन को अपनाएंगे उतने ही थॉट्स पैदा होंगे इसलिए आपको सबसे पहले अपनी इनफार्मेशन के सोर्स को समझना होगा करना होगा और काम की जानकारी को ही महत्व देना होगा, 

अपने दिमाग में जरूरत से ज्यादा इनफार्मेशन को भरने से ज्यादा thoughts पैदा होते है और उससे overthinking शुरू हो जाती है। पुरे दिन में अपने काम से related जानकारी को प्राप्त करें,  जिससे आपके दिमाग में आपके काम से related थॉट आएंगे जो जरूरत से कम होंगे, इसके बाद आपको अपने लिमिटेड थॉट्स को accept करना है जिससे आप विपरीत दिखा में थिंकिंग नहीं करेंगे और इससे overthinking की समस्या ख़त्म हो जायेगी।     


अपनी आदत को बदलने की कोशिश करें 


अगर आपकी वर्तमान की आदते आपके लिए समस्या पैदा कर रही है तो उनको बदलने की कोशिश शुरू कर दे, जितनी जल्दी आप अपनी ख़राब आदतों को बदलेंगे उतना ही जल्दी आपको आराम मिलना शुरू होगा, बुरी आदतो छोरना आपके लिए adventures भी होगा और आपकी क्षमता भी बढ़ेगी, शुरू में शायद आपको परेशानी हो मगर ये कला आपको कभी बोर नहीं होने देगी क्योकि इससे आपके जीवन में हमेशा चुनोतिया रहेगी और सिचुएशन के हिसाब से अपने आप को बदल लेना आपको हमेशा फायदा पहुंचाएगा।
अगर आपकी आदत बन गयी है ज्यादा सोचने की तो इस समस्या को समझ कर खुद को सोचने से रोखे या उस समय अपने ध्यान को आपके आस पास हो रही चीजों पर ले आये, अगर अपने 10 मिनट भी overthinking खुद को बचा लिया तो आपके जीतने शुरुआत हो चुकी है आप आप दिन में कई बार ये तरीका इस्तेमाल कर सकते जिससे आपकी एक नई आदत बनेगी।


ध्यान देना सीखे (Meditation) 


अपने ध्यान को रियलिटी से जोड़े, हमेशा उन चीजों पर ध्यान दे जो वास्तव में है, और जो आस पास हो रहा है उस पर ध्यान देना ही मैडिटेशन होता है, कभी भी दिमाग पर जोर डालके कुछ सोचने की कोशिश ना करे इससे आपके दिमाग पर प्रेशर बनेगा और आपको सर दर्द होने लगेगा, आप अपनी सांस पर ध्यान दे सकते है आप अपने सामने राखी किसी वास्तु पर ध्यान से सकते है या आप अपने थॉट्स को देख सकते है, आपकी बॉडी में चल रही हरकतों को देख सकते है, दिल की धड़कन पर ध्यान देना, इत्यादि पर ध्यान देने से मन शांत रहता है  



thoughts कि limitation देखे 


जब हमे ये पता चल जाता है के आप आपके थॉट्स नहीं हो बल्कि थॉट्स तो बीएस एक इनफार्मेशन है जो आती जाती रहती है तो आप अपने थॉट्स से फ्री हो जाते हो, दिमाग में 0 % thinking आपकी 100% मौजूदगी साबित करती है, उद्धरण के लिए हम किसी चीज को देखे मगर उसके बारे में कुछ भी ना सोचे, तब हमे पता चलेगा हमारी असली awareness के बारे में जो वास्तव में हम ही होते हो।



प्रकर्ति से जुड़ जाए 

जितना हम प्रकर्ति से जुड़ते चले जाएंगे उतना ही overthinking से दूर होने लग जाएंगे, क्योकि reality आपके दिमाग के अंदर प्रेशर नहीं डालती, आप जानते भी होंगे के जब हम वास्तिविकता के साथ जुड़ते है तो हम अपने अंदर बोलना बंद कर देते है जिससे ना कोई तनाव होता है और ना कोई overthinking, आप फ्री रहते हो, जिससे हमे हर चीज अच्छे से समझ आने लगती है शांत मन हमारे लिए ख़ुशी लेकर आता है।




Top Stories for Mental Health


Mental health को support करने के लिए Experts Eating Advice & Tips | Mental Health Support कैसे करे ?


मानसिक सेहत का ख़राब होने का सबसे बड़ा कारण ख़राब डाइट होता है। आप दिन में जो भी निर्णय ले रहे है या आपके दिमाग में जो भी idea आ रहे हो उसकी quality आपकी डाइट पर ही निर्भर करती है। अगर आप पुरे दिन में oil से भरपूर खाना खाते है तो आपकी मानसिक सेहत पर वैसा ही असर होगा। आपकी बॉडी फ़ूड ही है जैसा आप खाते है वैसा ही असर दिखाई देता है। इसलिए आपको अपनी मानसिक सेहत को ठीक करने की शुरुआत अपने खान-पान से करनी होगी। मेन्टल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए कौन कौन से पोषक तत्व की जरुरत पड़ती है, हमारे पास कुछ जरुरी पोषक तत्व की लिस्ट है जिनसे मानसिक समस्या दूर होती है। read


Experts Advice: 6 Eating Habits जो आपको 50 की उम्र के बाद भी जवान महसूस करा सकती है .


अगर हम बात करे उम्र की, तो ये सिर्फ एक नंबर है जो हमारी सेहत की स्थिति को पूरी तरह से नहीं दर्शाती है। अगर आप अपना खाना पीना ठीक रखे, तो आपके अंदर आपसे कम उम्र वाले लोगो से ज्यादा ताकत हो सकती है। इससे फर्क नहीं पड़ता के आपकी उम्र 25 साल है या 85 साल, अगर आप अपनी सेहत पर ध्यान दे, तो आप अपने अंदर जोश भर सकते है, हमारे आस पास की society उम्र को लेकर कुछ ज्यादा ही नकारात्मक विचार रखती है। जबकि ये पूरी तरह से सही नहीं है। एक 50 साल का इंसान 30 साल के इंसान से ज्यादा ताकतवर और जोशीला हो सकता है। read


Expert Tips : Mental Health की सुरक्षा के लिए 5 तरीके


क्या आपकी मानसिक सेहत बेहतर है। अगर नहीं तो आज हम आपकी मानसिक सेहत को बचाने के 5 ऐसे तरीके बताएंगे जिनको करने से आपकी मेंटल हेल्थ सुरक्षित रहेगी। तो चलिए शुरू करते है आज के टॉपिक के बारे में। आज मानसिक समस्या पूरी दुनिया की समस्या बन चुकी है। हर कोई मेंटल हेल्थ की समस्या से परेशान है। stress भरी जिंदगी से लोग परेशान है। और अगर इसका इलाज नहीं किया तो ये समस्या आगे चलकर हमारे जीवन पर बुरा असर डाल सकती है। हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे जिनकी मदद से आप अपनी मेंटल हेल्थ को बचा सकते है और एक शांत और खुशहाल जिंदगी जी सकते है। read



Expert Tips: क्या ख़राब Mental Health आपके रिलेशन को ख़राब कर सकती है ? 


Expert की राय 

जब हमारा मानसिक स्वास्थ्य ख़राब होता है तो हमें हमारी अच्छा खासा रिश्ता भी बोझ लग सकता है। जब हम मानसिक तनाव से गुजर रहे होते है तो हमें अच्छी से अच्छी चीज भी ख़राब लग सकती है। एक सर्वे से ये पता चला है के ज्यादा तर रिश्ते ख़राब मेन्टल हेल्थ के कारण से ख़राब होते है। इसलिए अगर आप किसी भी रिश्ते को अच्छे से चलाना चाहते है तो आपको अपनी मासिक सेहत पर काम करना होगा। आपको अपने पार्टनर को समझना और उनकी इच्छाओ को जानना बेहद जरुरी है। जब हम डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्या के शिकार होते है तो हम किसी भी रिश्ते को अच्छे से नहीं समझ पाते है इसी वजह से हमारे रिश्ते ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है। read


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top