कई बार हम बहुत ही ज्यादा अपनी लाइफ को लेकर। सीरियस हो जाते हैं कि जैसे ही कुछ बुरा हुआ। तो हम उदास हो जाते हैं और जैसे ही कुछ अच्छा हो जाता है तो खुश हो जाते हैं। हमारे विचार बहुत जल्दी बदलते हैं। हम यह नहीं सोचते कि जो कुछ भी हमारे साथ घटित होता है, वह चाहे अच्छा हो या बुरा, वो हमारे भविष्य पर प्रभाव डालता है। आज मैं आपको ऐसी कहानी सुनाने वाला हूँ। जो आपको कठिन परिस्थितियों में धैर्य का महत्त्व समझाएगी। इस कहानी का नाम है किसान का धैर्य। एक समय की बात है। एक किसान था जिसके पास एक घोड़ा था। वो अपने इस घोड़े से बहुत प्यार करता था। उसे अपने घोड़े पर बहुत ज्यादा गर्व था। वो घोड़ा उस किसान की कमाई का जरिया था।
अपनी इस कमाई से किसान अपने परिवार का पेट पालता था, लेकिन 1 दिन वह घोड़ा भाग गया। उसके भागने के बाद समाज के लोग और उस किसान के पड़ोसी ने उससे आकर कहा है भगवान तुम्हारा घोड़ा जिसपर तुम इतना घमंड दिखाते थे, वो तो भाग गया। लोग उसको दिलासा देने लगे की उसके साथ बहुत बुरा हुआ। लेकिन किसान ने इसका जवाब बहुत ही शांति से देते हुए कहा हां बहुत बुरा हुआ।
अगले दिन घोड़ा किसान के पास वापस आ गया, लेकिन सिर्फ घोड़ा वापस नहीं आया बल्कि वो अपने साथ तीन जंगली घोड़े भी लेकर आया। फिर उसके पड़ोसी ने उसके पास आकर कहा की आप का घोड़ा तो वापस आ गया और अपने साथ तीन और जंगली घोड़े लेकर आया है। बहुत ही अच्छी बात है, आपकी तो किस्मत बहुत अच्छी है। किसान बहुत खुश हुआ और उसकी तरफ देखकर उसको जवाब दिया कि हाँ बहुत अच्छा हुआ।
कुछ दिन बाद किसान का बेटा उसी जंगली घोड़े में से किसी एक को काम के लिए उपयोगी बनाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन इसी कोशिश के दौरान घोड़े ने किसान के बेटे को। जमीन पर पटक दिया और उसका पैर बुरे तरीके से टूट गया। उसके पड़ोसी ने उसे आकर कहा, उस पागल घोड़े ने देखो तुम्हारे बेटे के साथ क्या कर दिया, उसका पैर तोड़ दिया। ये तो बहुत बुरा हुआ। किसान दुखी था, लेकिन फिर भी उसने जवाब बहुत ही विनम्रता से दिया था। हां शायद मेरे बेटे के साथ गलत हुआ
अगले दिन सेना के कुछ जवान। किसान के घर पर आये जो जंग छिड़ने के कारण नए जवानों को भर्ती कर रहे थे। उसमें से एक जवान ने किसान के बेटे को जब देखा और बोला इसका तो पैर टूटा हुआ है। हम इसे सेना में भर्ती नहीं कर सकते और वे जवान गांव के सभी लड़कों को अपने साथ लेकर चले गए।
ये जानकर उसके पड़ोसी और बाकी गांव वाले उसके पास आए। उन्होंने कहा तुम्हारे बेटे को तो जवान जंग के लिए ले ही नहीं गए, तुम्हारी किस्मत तो बहुत अच्छी है। आखिरी बार भी किसान ने फिर से बड़ी ही सहजता से कहा हां। शायद। ….
इस कहानी की ये सीख है। दोस्तों हमारे लिए चीजों को नकारात्मक ढंग से सोचने में ज़रा भी समय नहीं लगता। जब भी कुछ हमारे अनुकूल नहीं होता तो हम उसे बुरा समझते हैं। लेकिन सच बात तो ये है की कोई नहीं जानता। जो हमारे साथ घटता है वो अच्छा है या बुरा? इस कहानी में भी किसान के भाव में परिवर्तन परिस्थितियों के कारण होता है। बुरी परिस्थितियों में वह नकारात्मक हो जाता है और अच्छी परिस्थितियों में वो सकारात्मक, नकारात्मक और सकारात्मक परिस्थितियों के बीच के समय में। धैर्य रखना बहुत जरूरी है। क्या वाकई में ये बता सकते है की हमारे साथ जो घटता है वो गलत है या सही?
बिना यह जाने कि भविष्य में उसका क्या प्रभाव पड़ेगा? हमारे ऊपर ही हमारे जीवन के ऊपर, मुझे लगता है आपका जवाब होगा नहीं। हमारे समाज में, हमारे देश में ऐसे बहुत से महान लोग है। जो असफल हुए। बहुत सी बड़ी बड़ी बीमारियों से लड़े लेकिन उन्होंने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और ना ही हार मानी। इसी वजह से वो आगे जाकर इतने प्रसिद्ध हुए सफलता के मुकाम पर पहुंचे और महान बने। हमारे बड़े बुजुर्ग सही कहते हैं कि जो होता है अच्छे के लिए होता है। ये छोटी सी लाइन हमें बहुत कुछ सीखा जाती है और यह बात हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए। हमेशा कोशिश करते रहे। जीवन के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहें, किसी बात को लेकर ज्यादा परेशान नहीं होना अपने आप को शांत रखना है।