नीरज चोपड़ा (OLYMPICS गोल्ड मेडेलिस्ट) की सक्सेस स्टोरी✌



भारत देश के लिए ये गर्व की बात है के नीरज चोपड़ा जैसे चैंपियन ने इस देश में जन्म लिया जिन्होंने अपनी मेहनत से भारत देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। आज हम बात करने वाले है नीरज चोपड़ा की इस कामयाबी के पीछे की पूरी कहानी के बारे में वैसे हम सब जानते है के इस मुकाम पर पहुंचने के लिए काफी कड़ी मेहनत और काफी त्याग की जरुरत होती है। 

नीरज चोपड़ा 

नीरज चोपड़ा जिसका जन्म  (28 दिसंबर सन 1997) को हरियाणा के पानीपत में खंडरा गाँव में हुआ। 2016 में उन्होंने अपने एथलीट करियर की शुरआत की, नीरज एक भाला फेकने वाले खिलाडी और इंडियन आर्मी के जूनियर कमीशंड (JCO) है, नीरज चोपड़ा टोकियो ओलम्पिके में अंडर 20-विश्व चैंपियनशिप और भारत के लिए गोल्ड मैडल जितने वाले पहले भारतीय खिलाडी है। 

फॅमिली 

नीरज के सयुक्त परिवार में माता पिता और उसके तीन चाचा है और 10 चचेरे भाई बहन है जिसमे नीरज सबसे बड़े है कुल मिलकर नीरज के परिवार में 19 सदस्य है जो एक ही छत के नीचे रहते है। नीरज परिवार में सबके चेहते है जिनको घरमे सभी प्यार करते है और नीरज के परिवार को उसपर गर्व है के नीरज ने देश का और अपनी फॅमिली का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। 

नीरज का त्याग 

नीरज की कामयाबी के पीछे काफी त्याग और मेहनत छिपा हुआ हैं किसी भी ओलंपिक्स खेल में महारत हासिल करने के लिए काफी मेहनत चाइये होती है। नीरज ने ध्यान भटकाने वाली चीजों से दुरी बनाके राकी अपना सारा फोकस बस खेल पर ही रखा वे अपने फ़ोन को सिर्फ अपने परिवार से बात करने के लिए ही इस्तेमाल किया करते थे और बात करने के बाद वे फ़ोन को स्विच ऑफ करते थे और सोशल मीडिया से तो वे कोसो दूर थे वे जानते थे के सोशल मीडिया उनका फोकस ख़राब कर देगा। 

नीरज का बुरा वक्त 

नीरज ने 2016 में एथिलीट बनने की इच्छा जागी उन्होंने IAAF U20  विश्व चैंपियनशिप में 86.48 वर्ग मीटर का रिकॉर्ड बनाया जिसके बाद उनको इंडियन आर्मी में जूनियर कमीशन अधिकारी का पद मिला।खेल में आगे बढ़ने के लिए उनको वित्तीय मदद की जरुरत थी पर नीरज के पिता सिर्फ एक किसान थे जिसकी वजह से पेसो की थोड़ी किलत थी पर नीरज के पिता और चाचा ने मिलकर नीरज के लिए तयारी करने के लिए 7000 का जेवलिन(भाला) लाकर दिया। 

नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन 


 

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