आज के दौर में बिजली हमारे लिए बहुत जरुरी है, बिना लाइट के कोई भी काम करना नामुनकिन है। काफी सालो से हम बिजली का इस्तेमाल कर रहे है पर क्या आप जानते है बिजली कैसे बनती है। आज हमे ये भी पता है के बिजली के बिना कोई विकास नहीं है ना ही कोई टेक्नोलॉजी काम कर सकती है आज हर एक चीज मशीन या ये कहे के हमारे रोजाना के समय में इस्तेमाल होने वाली मशीन भी बिजली पर डिपेंड है। बिजली हमारी जिंदिगी का सबसे बड़ा और सबसे जरुरी हिस्सा है।
बिजली के बनने से पहले के ज़माने में लोग जंगलो में रहते थे। प्राकर्तिक वातावरण में जीते थे पर आज वैसा नहीं है दुनिया बिलकुल बदल गयी है आज हमे अपने जरुरी काम करने के लिए बिजली जी जरुरत पड़ती है फिर चाहे वो मोबाइल फ़ोन चार्ज करना हो या टीवी देखना या फिर गर्मी से बचने के लिए पंखा और AC को इस्तेमाल करना, सब बिजली पर ही आधारित है। तो क्या आप जानना चाहते है के बिजली आखिर कैसे बनती है, चलिए जानते है।
आज बात करेंगे कोयले से बिजली कैसे बनती है, इंसान ने बिजली बनाने के कई तरीके ढूंढ लिए है जैसे कोयले से बिजली बनाना, पानी से, हवा से, सूरज से, और आगे भी खोज जारी है, आज हम सिर्फ कोयले से बनने वाली बिजली के बारे में जानेगे, लोगो को ये तो पता है के कोयले को जलाकर बिजली बनाई जाती है पर असलियत में नहीं जानते के आखिर कोयले से बिजली कैसे बनाई जाती है।
कोयला क्या है ?
कोयला एक ठोस कार्बन और ज्वलन शील प्रदार्थ है जो आसानी से आग पकड़ लेता है.कोयले के इसी गुण का इस्तेमाल करके बिजली का निर्माण किया जाता है, कोयला एक कला पत्थर जैसा होता है जो खदानों में पाया जाता है जहां से खुदाई करके कोयले को निकाला जाता है और फिर उसको ट्रैन में भरकर पावर प्लांट में भेज दिया जाता है, कोयले से बिकली बनाने की ये तरकीब लाजवाब है।
कोयले से बिजली कैसे बनती है ?
पूरी दुनिया के बिजली का उत्पाद में कोयले से 40 प्रतिशत बिजली उत्पन होती है। ये तो ज्यादा तर सबको पता है के कोयला को जलाकर बिजली बनाई जाती है पर कैसे बनता है ये डिटेल में जानिए, जब कोयले को खानो से निकाला जाता है उसको तभी ट्रैन के डब्बो में भर दिया जाता है, जिससे वो कोयला पावर प्लांट तक ले जाया जाता है। पावर प्लांट में आने के बाद कोयले को साफ़ किया जाता है उसके बाद उसका चुरा(पाउडर) करके कन्वेयर बेल्ट से भट्टी(बॉयलर) तक ले जाया जाता है जिसमे कोयले के चूरे को जलाया जाता है। जलते हुए कोयले के ऊपर पतली पतली पाइप होती है जिसमे से पानी को गुजरा जाता है जिससे पानी कोयले की आग से हाई प्रेशर भाप (STEAM) बन जाता है। अब इस हाई प्रेशर भाप को टरबाइन की ब्लेड को घूमने के लिए भेजा जाता है।
टरबाइन के साथ एक शाफ़्ट(मोटी लोहे की रोड) जुडी होती है जिसके सिरे पर एक कॉपर की तार से बना रोटर जुडा होता है और इस रोटर के दोनों तरफ चुम्बक लगी होती है जो नॉर्थ और साउथ पोल की होती है। जिनके बीच में कॉपर का रोटर शाफ़्ट की मदद से घूमता है और इसके घूमने से चुंबकीय छेत्र इलेक्ट्रिक करंट में बदल जाता है। ये सब जेनेरेटर के अंदर होता है.अब इस करंट को वायर लाइन के द्वारा ट्रांसफार्मर तक बेज दिया जाता है उसके बाद लोगो के घरो तक बिजली को सप्लाई कर दिया जाता है।
- बिजली बनाने के लिए कोयला एक सस्ता FUEL है
- TPP से बिजली बहुत जल्दी उत्पन होती है
- पूरी बिजली का 40 प्रतिशत बिजली कोयले से बनाई जाती है
- बिजली बनाने के लिए कम जगह की जरुरत होती है
- डीजल पावर स्टेशन के मुकाबले कम पोलुशन करता है
DISADVANTAGES
- कोयले का धूआं प्रदूषण का कारण बनता है
- भाप बनाने के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में पानी की जरुरत पड़ती है
- बाकि बिजली स्टेशन के मुकाबले कम EFFICIENCY होती है
- MAINTENANCE का खर्चा बहुत ज्यादा होता है
- अच्छे SKILL WORKERS की जरुरत पड़ती है
- कोयले को स्टोर करने के लिए काफी ज्यादा जगह चाहिए होती है